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#गुमशुदा बच्चे को मिला अपना भाई।
#बचपन खो न जाय इसके लिए प्रयास आवश्यक#
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#चाइल्ड लाइन ने बाल कल्याण समिति गिरिडीह के समक्ष बच्चे को बड़े भाई से मिलवाया।
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#अमन कुमार यादव ने भाई से मिलकर कहा शुक्रिया
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बड़े भाई विशाल कुमार यादव ने चाइल्ड लाइन को आभार व्यक्त किया।
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गुमशुदा बच्चा अमन कुमार यादव भटक कर गया पहुंच गया था। गया रेलवे स्टेशन से पुलिस ने चाइल्ड लाइन गया को सुपुर्द कर दिया जहाँ से उसे बाल गृह गया में रखा गया। फिर शुरू हुआ बच्चे को परिवार से मिलाने का सिलसिला। अमन कुमार का घर बालीडीह सरिया है। बाल गृह, गया के साथियों ने बाल संरक्षण इकाई, गिरिडीह से सपर्क किया। बाल संरक्षण इकाई गिरिडीह ने चाइल्ड लाईन बगोदर से संपर्क किया।
#आज उस गुमशुदा बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बच्चे को उसके बड़े भाई विशाल कुमार यादव को सौंप दिया गया।
विदित हो कि अमन कुमार अपने नानी घर रहता था। अमन कुमार के पिता का देहांत पांच बर्ष पूर्व एक लाइलाज बीमारी के कारण हो गया है। तीन वर्ष पूर्व एक रेल दुर्घटना में मां की भी मृत्यु हो गयी। अमन कुमार मॉ और पिता के मौत के बाद तन्हा महसूस करने लगा। अमन के दो और बड़े भाई हैं जो बाहर रहकर मजदूरी वगैरह करते हैं। घर मे अकेले बच्चे का परवरिश नही हो पा रही थी। अमन को अकेला देख उसके ननिहाल वाले अपने घर ले गए जहाँ उसे मन नहीं लगा और अनजाने मंजिल के तालाश में निकल पड़ा।
इस दौरान गया स्टेशन पर पुलिस को संदेह होने पर पुलिस द्वारा पूछताछ किया गया। जहाँ से उसे सुरक्षित ठिकाना मिला और आज अपने भाई के घर वापस आया।
अमन और उसके दो भाई आज अनाथ हैं। मां पिता का साया उठ जाने से इनकी पढ़ाई लिखाई भी छूट गयी। पूछ ताछ के क्रम में पता चला कि इनको अब तक कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है। यहां तक की राशन कार्ड भी नहीं बना है। परिणाम स्वरूप इन्हें बचपन मे ही मजदूरी कर पेट पालना पड़ रहा है। बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड लाइन बगोदर के संयुक्त प्रयास से सरकारी सुविधाओं से जोड़ने हेतु पहल की जा रही है। बचपन खो न जाय इसके लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे।
सुरेश कुमार शक्ति
6/7/2018
#आँगनबाड़ी केंद्र जमुनिया में तिरंगा खेल ke द्वारा बढ़ाया गया पोषण के प्रति समझ
अंतर्राष्ट्रीय पोषण दिवस के अवसर पर स्थानीय स्वंयसेवी संस्था बनवासी विकास आश्रम ने सी डब्लू एस के सहयोग से अड़वारा पंचायत के जमुनिया गांव के महिलाओं को कुपोषण से लड़ने के लिए पोषण बगीचा लगाने हेतु प्रेरित किया।
उन महिलाओं को विशेष रूप से प्रेरित किया गया जिनके बच्चे कुपोषित हैं या कुपोषण के तरफ कदम बढ़ा चुके हैं।
वहीं आंगनबाड़ी केंद्र जमुनिया में संस्था के तरफ से पोषण से संबंधित विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक पोस्टर का प्रदर्शनी लगाया गया। केंद्र में सेविका तथा पोषण सखी के मदद से महिलाओं के बीच तिरंगा भोजन से संबंधित खेल खेला गया। खेल के द्वारा बताया गया कि भोजन की थाली में तीन रंगों का भोजन जैसे सफेद, हरा, लाल रंग का होना चाहिए। सफेद जैसे कार्बोहाइड्रेड युक्त भोज्य पदार्थ हरा जैसे विटामिन युक्त हरी सब्जियां, लाल जैसे प्रोटीन युक्त भोजन सामग्री अंडा मीट मछली इत्यादि के सेवन से ही हम कुपोषण से लड़ सकते हैं।
मौके पर उपस्थित संस्था के कुपोषण कार्यकर्ता रविरंजन उपाध्याय ने बताया कि संस्था द्वारा बगोदर प्रखंड के अड़वारा पंचायत को कुपोषण की समस्या से बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किये जा रहे हैं, जैसे पोषण बागवानी को प्रोत्साहित करना, जैविक खेती को बढ़ावा देना, कुपोषण उपचार शिविर का आयोजन करना, कुपोषित बच्चों के माताओं को पोषण के प्रति समझ बढ़ाना इत्यादि।
संस्था के सचिव सुरेश कुमार शक्ति ने कहा कि पोषण के चार खंभे हैं, भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच, भोजन का उपयोग एवं उसका पाचन तथा इन चीजों का स्थायित्व बरकार रखना। जब तक सरकार और गैर सरकारी संगठन मिलकर प्रयास नही करेंगे कुपोषण दूर नहीं किया जा सकता। कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए उनकी माताओं को कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरुक करने की आवश्यकता है इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका तथा पोषण सखी को मिलकर बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने का काम करना होगा।समुदाय की भागीदारी अतिआवश्यक है।
10 साल बाद भी विकास का मौडल
10 साल बाद भी स्थायी विकास के मॉडल से किसान को लाभ
Childline1098/स्कूलों में Outreach
आपात्कालिन प्रस्थितियो में फंसे असहाय एवं जरुरत्मंद बच्चों के लिए निह्शुल्क फोन सेवा 1098
जागरूकता के लिए स्कूलों में Outreach
खतरनाक कीटनाशकों से बचाव का रास्ता निकला
ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए बायो पेस्टिसाइड की जरूरत होती है। महिला किसानों ने रासायनिक खतरनाक कीटनाशकों से बचाव का रास्ता निकाल लिया है। अब जैविक कीटनाशक घर -घर बनने लगे। अब पौधे ही नहीं आदमी भी स्वस्थ होंगें, मिट्टी भी स्वस्थ रहेगी।